LØCK3T... भाग -2
" मुझे कैंसर है"
" ओह !" वह सिर्फ इतना ही बोली
" दिक्कत इससे भी बड़ी है मेम साहब, मुझे कैंसर है या मैं कुछ दिनों में मर जाऊंगा इसकी मुझे ज्यादा परवाह नहीं है.. परवाह है तो सिर्फ अपनी एक छोटी बहन की.. जिसका मेरे बाद इस 100 करोड से अधिक लोगों में भी कोई नहीं है...."
"ओह ! वह फिर इतना बोल कर चुप हो गई"
उस वक्त मुझे खुद नहीं पता था कि मैं इसे यह सब क्यों बता रहा हूं, मैं आगे बोला
"आजकल खबर भी ऐसी आती है कि कलेजा फट पड़ता है कुछ कमीने लोग अनाथ लड़कियों से जिस्मफरोशी का धंधा करवाते हैं. कहीं मेरे मरने के बाद मेरी गुड़िया का भी यही हाल..... "बोलते हुए मैंने टैक्सी वहीं रोक दिया और टैक्सी से बाहर निकल कर खुद को... समझाने बुझाने लगा. कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा. सब ठीक हो जाएगा. इस दौरान वह लड़की कार में बैठी रही. जब मैंने खुद को सामान लिया तो वापस टैक्सी में बैठा और टैक्सी आगे बढ़ा दे.
"वैसे कैंसर का इलाज तो मुमकिन है, डॉक्टर ने क्या बोला ?"
" शायद आपने मेरी हालत नहीं देखी. मैं एक टैक्सी ड्राइवर हु"
"तो क्या टैक्सी ड्राइवर कैंसर के इलाज नहीं करवा सकता है ऐसा कोई नियम है क्या ?"
"आप समझी नहीं, मेरा कहने का मतलब था कि एक टैक्सी ड्राइवर के पास इतने पैसे नहीं होते कि... वह कैंसर जैसी बीमारी का इलाज करवा सके.. "
उसके बाद उसके और मेरे बीच कोई बात नहीं हुई. मैंने अग्रसेन चौक पर टैक्सी रोकी. उसने उतर कर मुझे 1500 दिए और आगे बढ़ गई. मैं अभी वहां अपनी टैक्सी में बैठ कर उसे वहां से जाते हुए देख रहा था.
"काश कि मैं भी इतना अमीर होता"
मुझे वहां से चले जाना चाहिए था, तुरंत चले जाना चाहिए था. टैक्सी आगे बढ़ा लेनी चाहिए थी और यदि टैक्सी चालू नहीं होती तो पैदल ही वहां से भाग जाना चाहिए था. पर वहां नहीं रुकना चाहिए था. किसी भी सूरत पर नहीं. लेकिन मैं रुका और उसे वहां से जाते हुए देखता रहा
" सुनो...." वह एकदम से पीछे पलट कर वापस मेरी तरफ आते हुए बोली... "मेरा एक काम करोगे ? तुम किसी झाड़-फूंक करने वाले बाबा के पास नहीं गए ?"
" हैन... क्याआ.. क्या...."
"इतना चौको मत, उनके पास बहुत ही अजीब अजीब शक्तियां होती हैं यदि किसी को जानते होगे तो चले जाना.. क्या पता किस्मत तुम्हारे हाथों की लकीरों को बदल दे..." इतना बोल कर वह फिर वापस पलट गई.
"दिल को भटकाने का अच्छा तरीका बताया है आपने... "मैंने आवाज थोड़ी ऊंची करके उससे कहा
"क्या... "वह एक बार फिर पलटी.. "I am not joking. It is real and damn serious "
"क्या मैं कुछ समझा नहीं, क्या बोली आप अभी"
मेरे क्या.. कहने पर जैसे से समझ आया कि वह इस वक्त किस इंग्लिश कोचिंग क्लास की टीचर से नहीं बल्कि एक टैक्सी ड्राइवर से बात कर रही थी, उसने अपना हाथ अपने सर पे मारा और बोली
"मैं मजाक नहीं कर रही, ऐसा सच में होता है"
" टैक्सी ड्राइवर हु, इसका मतलब यह नहीं कि मुझे कोई भी टोपी पहना कर चला जाएगा..."
"As you wish, if you don't believe on this kind of magic, then go.. I don't care..."
उसके इस लंबे चौड़े इंग्लिश की लाइन्स को सुनकर मैं उसकी तरफ एकटक देखता रहा और कुछ देर बाद उसे फिर समझ में आया कि वह इस वक्त एक टैक्सी ड्राइवर से बात कर रही है.
"सॉरी... मेरे कहने का मतलब था कि.". उसने अपना चेहरा मेरे करीब दिया और फिर एकदम चीखकर बोली... "भाड़ में जाओ"
" तेरी मां की..."पूरा काम जब उसके चीखने से झनझना उठा तो मैं अंदर ही अंदर बोला. पर उसके इस तरह के बर्ताव के कारण मेरे अंदर एक उम्मीद की किरण जाग उठी थी. मैं तुरंत टैक्सी से उतरा..
" सुनिए"
" व्हाट"
मैंने एक लंबी सांस भरी और फिर और हड़बढ़ाते हुए जल्दी से बोला..
"मैं किसी भी जादूगर को नहीं जानता यदि आप किसी को जानती हो तो मुझे उसका पता दे दीजिए"
"जो यह काम करते है उन्हें जादूगर नहीं, उन्हें तांत्रिक कहते है"
" जो भी हो.. यदि आप किसी अच्छे तांत्रिक का पता दे देती तो..."
" मैं खुद हूं.. "वह बोली और अपना एक हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा "मेरा नाम रोशनी है"
" क्या.. एक एक एक...मिनट " उसके ऐसा बोलने पर मैं उसे एक बार ऊपर से नीचे तक देखा, यदि उस वक्त मेरी जगह कोई और भी होता तो वह उस लड़की को कोई अमीर बिगड़ी हुई लड़की कहता, जो अपने बाप के पैसों को बड़े जोर शोर से उड़ाती है
"मजाक करने लगे आप भी"
"एक चीज समझ जाओ.. और एक चीज हमेशा याद रखना कि, मैं कभी झूठ नहीं बोलती"
" सच..." उस पल मुझे कुछ ठीक लगने लगा था, जो उदासी सीने में सुबह से थी वह थोड़ी निकल गई थी.. मैंने आगे कहां... "चलो फिर मेरे कैंसर का इलाज कर दो.. बड़ी मेहरबानी होगी"
" तैयार हो क्योंकि इस काम के बदले में मैं तुम्हें जो कहूंगी,वह तुम्हें करना पड़ेगा"
" मैं करूंगा.. सिवाय एक काम के... मैं किसी की जान नहीं लूंगा... "मैंने हंसते हुए कहा और मेरे ऐसा कहने पर वह भी मेरे साथ हंस पड़ी
लेकिन मुझे मालूम नहीं था कि इस मासूम हंसी के पीछे खूंखार जानवर दहाड़ मार रहा था मुझे जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती करने जा रहा हूं मुझे उसके साथ उसके घर नहीं जाना चाहिए था बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए था लेकिन मैं गया,हंसते मुस्कुराते हुए गया....
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" अब बोलो मानते हो ना कि मैं बाहर मजाक नहीं कर रही थी..". उसके घर के अंदर आया जहां का नजारा देखकर जेहन में एक भयंकर डर भर गया
जब मैं अग्रसेन चौक से या उसके घर की तरफ आ रहा था तो मैंने सोचा था कि वह एक बिगड़ी लड़की होगी और इस बहाने से वह शायद मेरे साथ रात गुजारना चाहती हो. मैं उसके साथ गया क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था, अक्सर रात भर पार्टी में घूमने वाली लड़कियां शराब पीकर ऐसी ही हरकतें करती हैं और मेरे साथ तो दो-तीन बार पूरा खेल हो चुका था इसलिए मैं यही सोचकर रोशनी के साथ आया था लेकिन इस वक्त मैं जिस रूम में खड़ा था वाह एक तरफी लड़की की लाश पड़ी थी उसके माथे पर एक अजीब तरह से निशान बनाया गया था उस सर के बाल गायब थे उसकी हालत देखकर मैंने अपनी आंखें बंद कर ली हो तुरंत वहां से भागा
" अपनी जिंदगी चाहते हो तो वापस आओ.. " एक आवाज पूरे घर में गुंजी लेकिन मैंने उस आवाज को पूरी तरह नजरअंदाज किया और वहां से भागकर वहां पहुंचा जहां मैंने टैक्सी खड़ी की थी और वहां से सीधे अपने किराए के रूम की तरफ फुल स्पीड में भागा.. मेरा मतलब... टैक्सी को भगाया..
उस लड़की की लाश जी से मैंने रोशनी के घर में देखा था वह अभी मेरे आंखों के सामने से नहीं हट रही थी घर आकर उस पूरे कमरे का दृश्य मेरी आंखों के सामने छाने लगता जब बहुत कोशिशों के बावजूद मैं परेशान ही रहा तो अपने बिस्तर से उठ कर बाहर निकला और वही रूम के आसपास टहलने लगा और कुछ देर बाद अपने रूम में वापस आया तो गुड़िया पर नजर पड़ी.. गुड़िया सुकून से सो रही थी और उसे ऐसे सोता देख सुकून मिला. पर ना जाने वह कौन सी मनहूस घड़ी थी जब मेरे मन में एक बार वह शब्द गूंजे जो रोशनी ने मुझसे कहा था
"तुम्हारे कैंसर के इलाज के बदले में मैं तुम्हें जो कहूंगी करना पड़ेगा"
क्या करवाना चाहती थी वह मुझसे और वह लड़की जिसकी... जिसकी लाश मैंने उसके घर में देखी वह कौन थी और क्या उसे रोशनी ने मारा था अच्छा हुआ जो मैं वहां से बाहर निकलो वरना ना जाने.. वह मेरे साथ क्या-क्या करती मैं खुद उर्दू था जो कि उसके साथ उसके घर तक कुछ और समझ कर गया...
मुझे वह किसी चुड़ैल की तरह लग रही थी और मुझे यह तो यही लग रहा था कि कहीं वह मेरे पीछे ना पड़ जाए मैं दिल ही दिल में ऊपर वाले से यही दुआ मांग रहा था कि वह लड़की मुझसे कभी सपने में भी ना मिले